Ram Prasad Bismil
Ram Prasad Bismil
“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजूएँ कातिल में है।”
देशभक्ति की भावना से भरी हुई, हमेशा क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा दोहरायी जाने वाली इन पंक्तियों के रचयिता, राम प्रसाद बिस्मिल, उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जो देश की आजादी के लिये अंग्रेजी शासन से संघर्ष करते हुये शहीद हो गये। ये एक महान लेखक व कवि थे। इन्होंने वीर रस से भरी हुई, लोगों के हृदय को जोश से भर देने वाली अनेक कविताएं लिखी। इन्होंने अनेक भावविहल कर देने वाली गद्य रचनाएं भी लिखी। इनकी क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण सरकार द्वारा इन पर मुकदमा चलाकर फाँसी की सजा दे दी गयी थी। इन्होंने अपने देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
दिल की बर्बादी के बाद उनका पैगाम आया तो क्या!
मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़्याल,
उस घड़ी गर नामावर लेकर पैगाम आया तो क्या!
ऐ दिले-नादान मिट जा तू भी कू-ए-यार में,
फिर मेरी नाकामियों के बाद काम आया तो क्या!
काश! अपनी जिंदगी में हम वो मंजर देखते,
यूँ सरे-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या!
आख़िरी शब्दीद के काबिल थी 'बिस्मिल' की तड़प,
सुबह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या!”
Specifications
Hits | 582 |
Publisher | वैदिक प्रकाशन |
Downloads | 107 |
Pages | 90 pages |
Year | 2015 |
Author
Author | सुधीर विद्यार्थी |
लेखक सुधीर विद्यार्थी को उनकी चर्चित कृति क्रांतिकारी आंदोलन-एक पुनर्पाठ के लिए स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान दिया जाएगा। इससे पहले उन्हें शमशेर सम्मान, परिवेश सम्मान, गणमित्र सम्मान, अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान आदि मिल चुके हैं। वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार प्रो काशीनाथ सिंह, कवि राजेश जोशी और डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की चयन समिति ने उनका चयन किया।
काशीनाथ सिंह ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के आंदोलनात्मक अवदान पर विद्यार्थी की किताब नयी दृष्टि से विचार करती है। चित्तौड़गढ़ में होने वाले समारोह में सुधीर विद्यार्थी को सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रीय महत्व के इस सम्मान के लिए देश भर से छब्बीस कृतियां प्राप्त हुई थीं। विद्यार्थी की पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े सेनानियों की स्मृति में अनेक स्मारकों का निर्माण करवाने तथा उनकी स्मृतियों को संरक्षित करने के बहुविध कार्य किये हैं। संदर्श जैसी लघु पत्रिका के सम्पादन के साथ विद्यार्थी अपने डायरी लेखन के लिए भी जाने जाते हैं।